दुनिय भर में केला एक महत्वपूर्ण फसल है। भारत में लगभग 4.9 लाख हेक्टेयर में केले की खेती होती है जिससे 180 लाख टन उत्पादन प्राप्त होता है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक केले का उत्पादन होता है। महाराष्ट्र के कुल केला क्षेत्र का 70 फीसदी अकेले जलगांव जिले में है। देशभर के कुल केला उत्पादन का लगभग 24 फीसदी भाग जलगांव जिले से प्राप्त होता है। केले को गरीबों का फल कहा जाता है। केले का पोषक मान अधिक होने के कारण केरल राज्य एवं युगांडा जैसे देशों में केला प्रमुख खाद्य फल है। केले के उत्पादों की बढती मांग के कारण केले की खेती का महत्व भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
केला उत्पाद निम्न है : केला चिप्स, केला फिग, केला आटा, केला पापड, केला हलवा, केला जूस, केला पल्प, केला फल केनिंग, केला टाफी, केला मदिरा, केला शेम्पेन इत्यादि सामग्रियां तेयार की जाती हैं।
जलवायुः केला उत्पादन के लिये उष्ण तथा आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है। जहँा पर तापक्र्रम 20-35 डिग्री सेन्टीग्रेड के मध्य रहता है वहाँ पर केले की खेती अच्छी तरह से की जा सकती है। वार्षिक वर्षा 150-200 से.मी. समान रूप से वितरित होना चाहिये। शीत एवं शुष्क जलवायु में भी इसका उत्पादन होता है। परंतु पाला एवं गर्म हवाओं (लू) आदि से काफी क्षति होती है।
भूमिः केले की खेती के लिए बलुई से मटियार दोमट भूमि उपयुक्त होती है। जिसका पी. एच मान 6.5-7.5 एवं उचित जल निकास का होना आवश्यक हैं। केले की खेती अधिक अम्लीय एवं क्षारीय भूमि में नही की जा सकती है। भूमि का जलस्तर 7-8 फीट नीचे होना चाहिये।
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